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31) घर वापसी ( दुबई डायरी )( यादों के झरोके से )



शीर्षक = घर वापसी



परदेस में रहने वाले का यही एक ख्वाब होता है की वो जल्द से जल्द अपने घर वालों से मिल आये , अपने दोस्तों, अपने अज़ीज़ो को एक बार देख आये 


हम भी जब 2019 में घर से बाहर आये थे  तो कुछ दिन बाद हमारा भी यही ख्वाब था की जल्द से जल्द साल पूरा करके अपने घर वालों से मिल आये, उन्हें जैसा छोड़ कर गए थे  वैसा ही उन्हें पाए


2020 का तो आप सब को पता ही है,2020 के वो महीने जिनमे हर कोई घर में कैद सा हो गया था  और चारों और मौत तांडव कर रही थी , ऐसे दौर से कोई गुज़रा हो और फिर  वो अपने परिवार वालों से मिलने जाए तो उसके दिल का हाल कोई नही बता सकता


मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ, जब सब कुछ ठीक होने लगा, सब जगह का लॉकडाउन खुलने लगा  हालत पहले जैसे होने लगे  तब हमने घर आने की सोची  क्यूंकि हमारे बड़े भाई की शादी तय हो गयी थी जो की नवंबर में थी  हमें घर पर कुछ काम था इसलिए हम दो महीने की छुट्टी पर आये 


घर आने की ख़ुशी और ऊपर से भाई की शादी की ख़ुशी  ने हमें बहुत ज्यादा खुश कर दिया था, हम फूले नही समा रहे थे  हमने ढेर सारी शॉपिंग की घर वालों के लिए बहनो के लिए बहनो के बच्चों के लिए अपनी अम्मी के लिए घर आने के दिन इतने लम्बे कट रहे थे , एक एक दिन एक साल की तरह जा रहा था


इंतज़ार ख़त्म नही हो रहा था, आखिर कार वो दिन आ ही गया  जब हम दुबई एयरपोर्ट पर पहुचे और थोड़ी देर बाद अपना समान जमा कराकर  और कानूनी कार्यवाही पूरी करने के बाद हम हवाई जहाज में बैठ गए ये हमारी दूसरी यात्रा थी हवाई जहाज से तो कोई उत्साह नही था बस घर जाना था कैसे भी करके


करीब 4 घंटे बाद हम दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरे और कुछ समय वहाँ के एयरपोर्ट में देने के बाद अपना समान लेकर हम बाहर  आये , अपने देश में कदम रखते ही वहाँ की हवा ने हमे जैसे सलाम सा किया कुछ ऐसा महसूस हुआ और हम  उस गाड़ी में बैठ कर अपने घर की और आने लगे जो हमें लेने आयी थी  साथ में हमारे बहनोयी साहब भी थे 


करीब 5 घंटे गाड़ी में बैठने के बाद हम अपने शहर में दाखिल हुए जहाँ दाखिल होते ही एक अपने पन का एहसास होने लगा  रात हो चुकी थी इसलिए कुछ ज्यादा दिखयी नही दे रहा था


दरवाज़े पर खट खटाने से पहले ही अम्मी ने दरवाज़ा खोल दिया, और हम उनके सीने से लग गए  उन्होंने हमें ढेर सारी दुआ दी सामने हमारी बहने खड़ी थी जो की हमें देख मुस्कुरा रही थी  वो लम्हा बेहद खूबसूरत था 


उसके बाद हमने अपने घर को देखा  वहाँ रखी हर एक चीज को देखा जो की ज्यो की त्यों थी, अपने कपडे देखे जो अलमारी में तय बने हुए रखे थे जो हमारी अम्मी ने पहले ही धो कर तय बना कर प्रेस करके रख दिए थे 


अगले दिन हमने सब के साथ नाश्ता किया और  अपना समान खोला जिसके बाद घर में महायुद्ध सा छिड़ गया किसी को कुछ पसंद आता तो वो उसे रख लेता तो कोई उससे छीनने के लिए लड़ता लेकिन हमारी अम्मी हम सब को देख मुस्कुरा रही थी, उन्हें उस समान से कोई मतलब नही था जो मैं लाया था  वो मुझे देख कर ही खुश थी 


उसके बाद घर में शादी की तैयारियां शुरू हो गयी और देखते देखते शादी भी हो गयी और कुछ दिन बाद हमारे जाने के दिन करीब आ गए  पता ही नही चला कब दो महीने ख़त्म हो गए  घर वालों के साथ 

उन ल्महो को हमने अपनी यादें बना कर इस प्रतियोगिता के माध्यम से आप सब के साथ साँझा किया है  उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आया होगा

लिखने को तो बहुत सी यादें है  जिन्हे लिखा जा सकता है  कुछ अच्छी तो कुछ बुरी मेने इस प्रतियोगिता में सिर्फ और सिर्फ अच्छी यादों को ही लिखा है क्यूंकि जैसा मेने पहले बताया था की मैं एक आशावादी और हसमुख इंसान हूँ, मैं इस बात की परवाह नही करता हूँ की मेरे साथ क्या क्या बुरा हुआ है मैं इस बात पर खुदा का शुक्र करता हूँ की मेरे साथ क्या क्या अच्छा हुआ और मैं किन किन मुसीबतों से बाहर निकल आया 


ऐसा नही है की गुज़रे सालों में मेरे साथ कुछ बुरा नही हुआ या इस जाती 2022 में कुछ ऐसा नही हुआ जो की एक बुरा लम्हा बन कर मेरी यादों में ना आया हो
लेकिन मेरा मानना है बुरी यादों को जितना जल्दी हो सके अपने से दूर कर दिया जाए और जो भी कुछ बुरा हुआ था  उससे सबक हासिल कर उसे भूल जाना चाहिए ताकि उस गलती को दोबारा ना दोहराना पड़े


बुरी यादें दीमक की तरह होती है जिस प्रकार दीमक अंदर ही अंदर लकड़ी को खोखला कर देती है और उसका अस्तित्व खतरे में डाल देती है उसी प्रकार बुरी यादें भी इंसान से अगर जल्दी दूर ना हुयी तो वो भी उसका अस्तित्व खतरे में डाल सकती है 


इसलिए हमेशा खुश रहे हर पल को जीने की कोशिश करे ना की काटने की

लेखनी द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता ने मेरी उन धुंधली यादों को साफ कर दिया जिनपर वक़्त की धुल जम गयी थी और अब इस व्यस्त भरी जिंदगी में उन्हें याद करने की फुर्सत भी नही थी , लेखनी का बहुत बहुत आभार हमें हमारी यादों में दोबारा से झाँकने का अवसर प्रदान किया इस जाते साल में यादों के झरोखे के माध्यम से


उम्मीद करता हूँ आप सब लेखकों, पाठको का ये साल बहुत अच्छा गया होगा, अगर कुछ बुरा भी हुआ हो तो उसे भूल जाना और ईश्वर का धन्यवाद करना की उसने जो कुछ अच्छा किया आपके साथ इस साल और जोश और उत्साह के साथ नये साल का आगाज़ करना और लेखनी पर लिखना और पढ़ना ऐसे ही जारी रखना ताकि किसी के लिखने का हुनर निखरता रहे और किसी के पढ़ने का शोक पूरा होता रहे 


इसी के साथ मैं इस प्रतियोगिता में अपनी भाग्यदारी इस आख़री याद को साँझा करके पूरी कर रहा हूँ, मन तो नही कर रहा प्रतियोगिता को छोड़ने का और क्या करे एक समय अवधि पर तो आत्मा भी शरीर छोड़ देती है  इसलिए हम भी अपनी लास्ट बट नोट लीस्ट याद को आपके साथ साँझा करते हुए अपने कलम को विराम देते है


धन्यवाद, हमारे साथ बने रहने के लिए


यादों के झरोखे से 

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2 Comments

Sachin dev

15-Dec-2022 06:12 PM

Nice 👌

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Zakirhusain Abbas Chougule

15-Dec-2022 12:34 AM

Bahut khoob

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